16 फ़रवरी 2017

कुन्डलिनी जागरण साधना

विशेष तथ्य :-

  1. कुन्डलिनी जागरण साधनात्मक जीवन का सौभाग्य है.
  2. कुन्डलिनी जागरण  साधना गुरु के सानिध्य मे करनी चाहिये.
  3. यह शक्ति अत्यन्त प्रचन्ड होती है.
  4. इसका नियन्त्रण केवल गुरु ही कर सकते हैं.
  5. यदि आप गुरु दीक्षा ले चुके हैं तो अपने गुरु की अनुमति से ही यह साधना करें.
  6. यदि आपने गुरु दीक्षा नही ली है तो किसी योग्य गुरु से दीक्षा लेकर ही इस साधना में प्रवृत्त हों.
  7. यदि गुरु प्राप्त ना हो पाये तो आप मेरे गुरु स्वामी सुदर्शननाथ जी  को गुरु मानकर उनसे मानसिक अनुमति लेकर जाप कर सकते हैं .
स्वामी सुदर्शननाथ जी

|| ॐ ह्रीं मम प्राण देह रोम प्रतिरोम चैतन्य जाग्रय ह्रीं ॐ नम: ||  

  • यह एक अद्भुत मंत्र है. 
  • इससे धीरे धीरे शरीर की आतंरिक शक्तियों का जागरण होता है और कालांतर में कुण्डलिनी शक्ति जाग्रत होने लगती है. 
  • प्रतिदिन इसका १०८, १००८ की संख्या में जाप करें.
  • जाप करते समय महसूस करें कि मंत्र आपके अन्दर गूंज रहा है.
  • मन्त्र जाप के अन्त में कहें :-
ना गुरोरधिकम,ना गुरोरधिकम,ना गुरोरधिकम


शिव शासनतः,शिव शासनतः,शिव शासनतः

13 फ़रवरी 2017

अघोर साधना

अघोर साधनाएं जीवन की सबसे अद्भुत साधनाएं हैं

अघोरेश्वर महादेव की साधना उन लोगों को करनी चाहिए जो समस्त सांसारिक बंधनों से मुक्त होकर शिव गण बनने की इच्छा रखते हैं.

इस साधना से आप को संसार से धीरे धीरे विरक्ति होनी शुरू हो जायेगी इसलिए विवाहित और विवाह सुख के अभिलाषी लोगों को यह साधना नहीं करनी चाहिए.

  1. यह  साधना  अमावस्या से प्रारंभ होकर अगली अमावस्या तक की जाती है.
  2. यह  दिगंबर साधना है.
  3. एकांत कमरे में साधना होगी.
  4. स्त्री से संपर्क तो दूर की बात है बात भी नहीं करनी है.
  5. भोजन  कम से कम और खुद पकाकर खाना है.
  6. यथा  संभव मौन रहना है.
  7. क्रोध,विवाद,प्रलाप, न करे.
  8. गोबर के कंडे जलाकर उसकी राख बना लें.
  9. स्नान करने के बाद बिना शरीर  पोछे साधना कक्ष में प्रवेश करें.
  10. अब राख को अपने पूरे शरीर में मल लें.
  11. जमीन पर बैठकर मंत्र जाप करें.
  12. माला या यन्त्र की आवश्यकता नहीं है.
  13. जप की संख्या अपने क्षमता के अनुसार तय करें.
  14. आँख बंद करके दोनों नेत्रों के बीच वाले स्थान पर ध्यान लगाने का प्रयास करते हुए जाप करें.
  15. जाप  के बाद भूमि पर सोयें.
  16. उठने के बाद स्नान कर सकते हैं.
  17. यदि एकांत उपलब्ध हो तो पूरे साधना काल में दिगंबर रहें. यदि यह संभव न हो तो काले रंग का वस्त्र पहनें.
  18. साधना के दौरान तेज बुखार, भयानक दृश्य और आवाजें आ सकती हैं. इसलिए कमजोर मन वाले साधक और बच्चे इस साधना को किसी हालत में न करें.
  19. गुरु दीक्षा ले चुके साधक ही अपने गुरु से अनुमति लेकर इस साधन को करें.
  20. जाप से पहले कम से कम १ माला गुरु मन्त्र का जाप अनिवार्य है.


|||| अघोरेश्वराय हूं ||||




12 फ़रवरी 2017

साधना सूत्र


FAQ : साधनात्मक जानकारियां

1.साधना कौन कर सकता है ?



सनातन धर्म में जाति या धर्म का कोई बंधन नही माना जाता है. किसी भी जाति या धर्म का व्यक्ति जो सनातन धर्म पर निष्ठा रखता है, देवी देवताओं पर विश्वास रखता है वह साधनायें कर सकता है. 

२.क्या गुरु के बिना भी साधनायें की जा सकती हैं ?





गुरु के बिना साधनायें स्तोत्र तथा सहस्रनाम पाठ के रूप में की जा सकती हैं. मंत्र की सिद्धि के लिये गुरु का होना जरूरी माना गया है.




३. गुरु का साधनाओं में क्या महत्व है ? 




गुरु का तात्पर्य एक ऐसे व्यक्ति से है जो आपको भी जानता है और देवताओं को भी जानता है. वह साधना के मार्ग पर चला है इसलिये आपको वह मार्ग बता सकता है. मंत्र साधनाओं से शरीर में उर्जा का संचार होने लगता है, इस उर्जा को सही दिशा में ले जाना जरूरी होता है जो केवल और केवल गुरु ही कर सकता है. गुरु भी पहले शिष्य होता है, वह अपने गुरु के सानिध्य में साधना कर गुरुत्व को प्राप्त होता है.



४. क्या साधनाओं से जीवन की समस्याओं का समाधान हो सकता है ?




.साधनाओं से जीवन की विविध समस्याओं का समाधान का मार्ग मिलता है.

५. क्या आज भी देवी देवताओं का प्रत्यक्ष दर्शन हो सकता है ?



. हाँ आज भी देवी देवताओं का प्रत्यक्ष दर्शन संभव है. इसके लिए तीन बातें अनिवार्य हैं :-

  1. एक सक्षम गुरु का शिष्यत्व.
  2. इष्ट और मंत्र में पूर्ण विश्वास.
  3. शुद्ध ह्रदय से लगन और समर्पण के साथ साधना.  

६. कुछ साधनाओं में ब्रह्मचर्य को अनिवार्य क्यों माना जाता है ?

.ब्रह्मचर्य से शरीर का आतंरिक बल बढ़ता है, उग्र साधनाएँ जैसे बजरंग बली या भैरव साधना में यह आतंरिक बल साधक को जल्द सफलता दिलाता है.
७. क्या साधनाओं के द्वारा विवाह बाधा का निवारण संभव है ?

.मातंगी , हरगौरी, तथा शिव साधनाओं के द्वारा विवाह बाधा दूर हो सकती है. इनका फल तब ज्यादा होता है जब वही व्यक्ति साधना करे जिसके विवाह में बाधा आ रही है.



८. क्या साधनाओं से धन की प्राप्ति संभव है ?

.साधना के द्वारा आसमान से धन गिरने जैसा चमत्कार नहीं होता है . लक्ष्मी, कुबेर जैसी साधनाएँ करने से धनागमन के मार्ग अवश्य खुलने लगते हैं. इसमें साधक को प्रयत्न तो स्वयं करना होता है , लेकिन सफलता दैवीय कृपा से जल्द मिलने लगती है. 


.९. क्या यन्त्र चमत्कारी होते हैं ?

.यन्त्र मात्र एक धातु का टुकड़ा होता है जिसपर सम्बंधित देवी या देवता का यन्त्र अंकित होता है. यह चमत्कारी नहीं होता यदि ऐसा होता तो श्री यंत्र रखने वाला हर व्यक्ति धनवान होना चाहिये. लेकिन ऐसा नही होता.यंत्र की भी प्राण प्रतिष्ठा करनी पडती है.जब एक उच्च कोटि का गुरु या साधक उसका पूजन करके उस देवी या देवता की प्राण प्रतिष्टा यन्त्र में करता है तब वह चमत्कारी बन जाता है.



.तांत्रिक विग्रह क्या है ? उसके क्या लाभ हैं ?

.तांत्रिक विग्रह देवी या देवता के तांत्रोक्त स्वरूप होते है. इनका निर्माण जिस पदार्थ /धातु/रत्न से किया जाता है वह उस देवी या देवता की कृपा प्राप्ति को और सहज बना देता है. यूं समझ लें कि ८० प्रतिशत काम ऐसे विग्रह की स्थापना से ही हो जाता है. बाकी २० प्रतिशत काम उसके पूजन द्वारा हो जाता है.

ऐसे विग्रह दुर्लभ हैं . मगर इनकी स्थापना और पूजन से कार्य सिद्धि निश्चित रूप से होती है. कुछ तांत्रिक विग्रह हैं:-



  • पारद शिवलिंग.
  • पारद काली.
  • पारद लक्ष्मी.
  • पारद श्री यंत्र.
  • पारद कवच.
  • रत्न निर्मित गणपति/काली/लक्ष्मी/शिवलिंग.
  • श्वेतार्क गणपति.
  • तांत्रोक्त काली/भैरवि/योगिनी विग्रह. इत्यादि 
ये विग्रह गुरुदेव के निर्देशानुसार ही प्राप्त /स्थापित और पूजित करें.

11 फ़रवरी 2017

बगलामुखी महाविद्या


भगवती बगलामुखि की साधना सामान्यतः शत्रुनाश और मुकदमों में विजय प्राप्ति के लिये की जाती है.इस साधना के सामान्य नियम :-

  1. साधक को सात्विक आचार तथा व्यवहार रखना चाहिये.
  2. साधना काल में पीले रंग के वस्त्र तथा आसन का उपयोग करॆं.
  3. साधना रात्रिकालीन है अर्थात रात्रि ९ से सुबह ४ के मध्य मन्त्र जाप करें.
  4. साधनाकाल में क्रोध ना करें.
  5. साधना काल में यथासंभव ब्रह्मचर्य का पालन करें.
  6. साधनाकाल में किसी स्त्री का अपमान ना करें.
  7. हल्दी या पीली हकीक की माला से जाप करें.
  8. साधना करने से पहले गुरु दीक्षा लें गुरु से अनुमति लेकर ही यह साधना करें. यह साधना उग्र साधना है इसलिये नन्हे बालक तथा कमजोर मानसिक स्थिति वाले इस साधना को ना करें.
  9. सामान्यतः सवा लाख जाप का पुरश्चरण तथा १२५०० मन्त्रों से हवन किया जाना अपेक्षित है.
  10. हवन पीली सरसों से किया जायेगा.

विभिन्न साधनात्मक जानकारियों 

तथा

गुरुदेव स्वामी सुदर्शन नाथ जी 


 तथा गुरुमाता साधना सिंह जी से 


भगवती बगलामुखि दीक्षा
के सम्बन्ध में जानकारी के लिए निचे लिखे नंबर पर संपर्क करें
समय = सुबह दस बजे से शाम सात बजे तक [ रविवार अवकाश ]
साधना सिद्धि विज्ञान
जैस्मिन - 429
न्यू मिनाल रेजीडेंसी
जे.के.रोड
भोपाल [म.प्र.] 462011
phone -[0755]-4283681
 
विस्तृत जानकारी के लिए पढ़ें :-
साधना सिद्धि विज्ञान मासिक पत्रिका
यह पत्रिका तंत्र साधनाओं के गूढतम रहस्यों को साधकों के लिये  स्पष्ट कर उनका मार्गदर्शन करने में अग्रणी है. साधना  सिद्धि विज्ञान पत्रिका में महाविद्या साधना , भैरव साधना, काली साधना,  अघोर साधना, अप्सरा साधना इत्यादि के विषय में जानकारी मिलेगी .इसमें आपको विविध साधनाओं के मंत्र तथा पूजन विधि का प्रमाणिक विवरण मिलेगा .देश भर में लगने वाले विभिन्न साधना शिविरों के विषय में जानकारी मिलेगी .------------------------------------------------------------------------------------
वार्षिक सदस्यता शुल्क 250 रुपये मनीआर्डर द्वारा निम्नलिखित पते पर भेजें
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10 फ़रवरी 2017

वज्र वैरोचनीया छिन्नमस्ता




॥ ऊं श्रीं ह्रीं ह्रीं क्लीं ऎं वज्रवैरोचनीयै ह्रीं ह्रीं फ़ट स्वाहा ॥



नोट:- यह साधना गुरुदीक्षा लेकर गुरु अनुमति से ही करें.....



  1. प्रचंड तान्त्रिक प्रयोगों की शान्ति के लिये छिन्नमस्ता साधना की जाती है. यह तन्त्र क्षेत्र की उग्रतम साधनाओं में से एक है.
  2. यह साधना गुरु दीक्षा लेकर गुरु की अनुमति से ही करें. 
  3. यह रात्रिकालीन साधना है. नवरात्रि में विशेष लाभदायक है. 
  4. काले या लाल वस्त्र आसन का प्रयोग करें. 
  5. रुद्राक्ष या काली हकीक की माला का प्रयोग जाप के लिये करें. 
  6. सुदृढ मानसिक स्थिति वाले साधक ही इस साधना को करें. 
  7. साधना काल में भय लग सकता है.ऐसे में गुरु ही संबल प्रदान करता है.

9 फ़रवरी 2017

नवार्ण मन्त्रम




  ॥    ऐं 
ह्रीं क्लीं चामुन्डायै विच्चै  ॥


यह नवार्ण मन्त्र है.

इसमे 

ऐं =  भगवती महासरस्वती का बीज मन्त्र है. 
ह्रीं =  भगवती महालक्ष्मी का बीज मन्त्र है.

क्लीं =  
भगवती महाकाली का बीज मन्त्र है.


इससे तीनों देवियों की कृपा मिलती है.

 इस मन्त्र का यथा शक्ति जप करने से महामाया की कॄपा प्राप्त होती है .

विधि ---
  1. रात्रि काल में जाप होगा.
  2. रत्रि ९ बजे से सुबह ४ बजे के बीच का समय रात्रि काल है.
  3. लाल रंग का आसन तथा वस्त्र होगा.
  4. दिशा पूर्व या उत्तर की तरफ़ मुंह करके बैठना है.
  5. हो सके तो साधना स्थल पर ही रात को सोयें.
  6. सात्विक आहार तथा आचार विचार रखें.
  7. किसी स्त्री का अपमान न करें.
  8. किसी पर साधन काल में क्रोध न करें.
  9. किसी को ना तो कोसें और ना ही व्यर्थ का प्रलाप करें.
  10. यथा संभव मौन रखें.
  11. साधना में बैठने से पहले हल्का भोजन करें.
  12. बहुत आवश्यक हो तो पत्नी से संपर्क रख सकते हैं.

8 फ़रवरी 2017

उच्छिष्ट गणपति साधना

  •  


॥ हस्तिपिशाचिलिखे स्वाहा ॥
 
सामान्य निर्देश :-
  • साधनाएँ इष्ट तथा गुरु की कृपा से प्राप्त और सिद्ध होती हैं |
  • इसके लिए कई वर्षों तक एक ही साधना को करते रहना होता है |
  • साधना की सफलता साधक की एकाग्रता और उसके श्रद्धा और विश्वास पर निर्भर करता है |
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विधि :-

  1. रुद्राक्ष की माला सभी कार्यों के लिए स्वीकार्य  है |
  2. जाप के पहले दिन हाथ में पानी लेकर संकल्प करें " मै (अपना नाम बोले), आज अपनी (मनोकामना बोले) की पूर्ती के लिए यह मन्त्र जाप कर रहा/ रही हूँ | मेरी त्रुटियों को क्षमा करके मेरी मनोकामना पूर्ण करें " | इतना बोलकर पानी जमीन पर छोड़ दें |
  3. पान का बीड़ा चबाएं फिर मंत्र जाप करें |
  4. गुरु से अनुमति ले लें|
  5. दिशा दक्षिण की और देखते हुए बैठें |
  6. आसन लाल/पीले रंग का रखें|
  7. नित्य कम से कम 108 बार जाप करें , जितना ज्यादा जाप करेंगे उतना बेहतर परिणाम मिलेगा |
  8. जाप रात्रि 9 से सुबह 4 के बीच करें|
  9. यदि अर्धरात्रि जाप करते हुए निकले तो श्रेष्ट है | 
  10. कम से कम 21 दिन जाप करने से अनुकूलता मिलती है | 
  11. जाप के दौरान किसी को गाली गलौच / गुस्सा/ अपमानित ना करें|
  12. किसी महिला ( चाहे वह नौकरानी ही क्यों न हो ) का अपमान ना करें | यथा सम्भव सम्मान करें |
  13. जिस बालिका/युवती/स्त्री के बाल कमर से नीचे तक या उससे ज्यादा लम्बे हों उसे देखने पर मन ही मन मातृवत मानते हुए प्रणाम करें |
  14. सात्विक आहार/ आचार/ विचार रखें |
  15. ब्रह्मचर्य का पालन करें |